Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Mar-2023 भक्ति में शक्ति

होरी लाल का जन्म होली दहन के दिन हुआ था। होरी लाल इकलौता पुत्र था। होरीलाल बहुत सीधा-साधा युवक था। होरी लाल को छोटे से छोटा बच्चा भी बेवकूफ बना देता था।


 होरी लाल के माता-पिता को पता था कि हमारी मृत्यु के बाद होरीलाल को अकेले जीवन जीना बहुत मुश्किल होगा। होरी लाल के माता पिता जब भी होरी लाल की शादी की कहीं बात करते थे, तो लड़की वाले सीधे-साधे होरीलाल को मूर्ख समझ कर अपनी बेटी की शादी करने से इंकार कर देते थे।

 बेटियों के माता-पिता जब होरी लाल को मूर्ख कहकर उससे अपनी बेटी की शादी से इंकार कर देते थे, तो होरी लाल के माता पिता बहुत मायूस हो जाते थे।

 होरी लाल अपने जीवन से ज्यादा दुखी और निराश ना हो इसलिए होरी लाल की मां ने होरी लाल को हिम्मत देने के लिए श्री कृष्ण भगवान की एक छोटी सी मूर्ति दे रखी थी, कि जब भी होरी लाल निराश और दुखी हो तो उस मूर्ति से बात करके अपना मन हल्का कर ले। मां से कृष्ण भगवान की मूर्ति लेने के बाद होरी लाल उस मूर्ति को अपनी कमीज की जेब में हमेशा रखता था।

जब भी ज्यादा दुखी होकर होरी लाल उस कृष्ण भगवान की मूर्ति से बात करता था, तो उसे ऐसा महसूस होता था कि कृष्ण  भगवान की मूर्ति उसकी बात सुन रही है। और उसकी बातों का जवाब दे रही है। 

गांव के लोग जब होरी लाल को कृष्ण भगवान की मूर्ति से बातें करते हुए देखते थे, तो सोचते थे कि सच में यह मुर्ख है।

 होली दहन के दिन होरी लाल सुबह ही होली के पास ढोलक लेकर चारपाई पर बैठकर राधा कृष्ण के भजन गाता था। और तेज तेज आवाज में सुबह से शाम तक भजन गाते गाते जब उसका गला बैठ जाता था, तो वह होली के आसपास नाचना शुरु कर देता था। और जब तक नाचता रहता था, जब तक की होली दहन नहीं होती थी। होरी लाल की वजह से गांव वालों को होली दहन में पूरा आनंद आ जाता था।

 कुछ साल बीतने के बाद होरी लाल के माता पिता का स्वर्गवास हो जाता है। माता पिता के स्वर्गवास के बाद होरी लाल को अपना पेट भरना भी मुश्किल पड़ता था। होरी लाल सीधा-साधा कम बुद्धि का युवक था, इसलिए उसे विश्वास था कि एक दिन उसके माता-पिता जरूर वापस लौटकर घर आएंगे।

 माता-पिता के बिना होरी लाल के सीधेपन का लोग फायदा उठाने लगते हैं। गांव के लोग होरी लाल से कठिन श्रम करवाने के बाद उसे नाम मात्र की मजदूरी देते थे। इसलिए इतनी मेहनत करने के बाद भी होरी लाल को शांति सकून से जीना मुश्किल हो रहा था।

 रात को होरी लाल जब भूखे पेट तड़पता था, तो फिर कृष्ण भगवान से बार-बार यही कहता था कि "मेरे माता-पिता कब घर वापस आएंगे।"और कृष्ण भगवान की मूर्ति को छाती पर रख कर सो जाता था। 

और सुबह कोई ना कोई आदमी होरी लाल का फायदा उठाने के लिए अपने साथ मजदूरी करवाने ले जाता था। और शाम तक कठिन श्रम करवाने के बाद कुछ मीठी मीठी बातें करके थोड़े बहुत पैसे देकर होरीलाल को घर भेज देता था। होरी लाल के जीवन में अकेलापन और गरीबी आ गई थी।

और होली के त्यौहार के आने पर होरी लाल पहले की तरह ही होली दहन के दिन ढोलक लेकर होली के पास बैठकर राधा कृष्ण के भजन गाने लगता है।

 उन दिनों आंचल नाम की लड़की अपनी सहेली के साथ उसके गांव घूमने आई हुई थी। उस आंचल नाम की लड़की को होरीलाल के भजन बहुत सुरीले लगते हैं। इसलिए वह होरी लाल के भजन रिकॉर्ड करके शहर ले जाती है।

और आंचल अपने किसी मित्र की सहायता से होरी लाल के भजनों को सोशल मीडिया पर प्रसारित कर देती है। और होरी लाल की सुरीली आवाज में गाए राधा कृष्ण के भजन दुनिया को बहुत पसंद आते हैं और होरी लाल अपनी सुरीली आवाज के कारण बहुत नाम और शोहरत कमा लेता है। होरी लाल के सच्चे दिल को पहचान कर आंचल उससे प्रेम विवाह कर लेती है।

 होरी लाल को पूरा यकीन था कि कृष्ण भगवान की पूजा और होली दहन के दिन उनके भजन गाने की वजह से कृष्ण भगवान ने खुश होकर उसे दुनिया में इतन नाम और शोहरत दी है। और आंचल को भी धीरे-धीरे विश्वास हो गया था कि होली दहन के दिन राधा कृष्ण के भजन गाने की वजह से कृष्ण भगवान ने प्रसन्न होकर होरी लाल को इतन ज्यादा नाम और शोहरत दी है।

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6 Comments

अदिति झा

09-Mar-2023 06:52 PM

Nice 👌

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Punam verma

08-Mar-2023 09:10 AM

Very nice

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Abhinav ji

08-Mar-2023 08:33 AM

Very nice 👍

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